भारत: एकता की ओर || Hindi Poems

भारत: एकता की ओर 


भारत देश में सदा धर्म बड़ा विशेष है 

इस धर्म की परिभाषा उससे बड़ा संदेश है 

धर्म वह व्यर्थ है जो भारतीय एकता में न विलीन हो 

कौन नहीं चाहता भारत इन सबसे स्वाधीन हो?


यहाँ पर बंधू क्यों आप-आप में लड़े?

धर्म वही विशेष है जो दौर के साथ आगे बढ़े 

परस्परावलंब से कदम सभी बढ़ाएंगे 

इस देश की अनेकता में एकता को बनाएँगे ! 


धर्म के उदहारण का बहुत बड़ा उद्देश्य है 

सम्मिलित कर्म की कथा उससे ज़्यादा विशेष्य है 

ये भेदभाव वह तीर हैं जो सोच के अधीर नहीं

इस अनित्य भाव के लिए एकता की लकीर सही 


करोड़ों भारतियों की आस जो ब्रह्माण्ड से भी असीम हो

कौन चाहेगा ऐसी प्रतिभा की तक़सीम हो?

इसीलिए एकता के लिए दुश्मन नहीं, भाई सबको बनाना है 

ये रास्ता बहुत लंबा है, अभी और आगे जाना है 


आर्यभट्ट ने इस दुनिया को शून्य प्रदान किया

अशोक ने भी जनहित में क्या नहीं योगदान दिया?

ऐसे लाखों महापुरषों ने अपना प्रतिभाशाली व्यक्तित्व जताया है

ये सब हमारे खून में है सबको ये बताया है 


भारत देश ने दुनिया को सदियों से जोड़ा है 

पर हमने इस विशवास को अपने कर्मों से तोड़ा है

लेकिन आज टूटा है तो कल जुड़ेगा भी

फिरसे एक होने से वक्त का पहिया मुड़ेगा भी


सब चाहेंगे की भारत का पूरे विश्व में गुणगान हो

चलाना बस एक ऐसा अभेद्य तीर है जिसका एक मज़बूत बाण हो

इस तीर के लिए कंधे से कंधा मिलाना है 

मंज़िल ये दूर नहीं अगर हमने ये ठाना है 


एक होने से असंभव को भी संभव बनाना है 

हमारी जनता किसी से कम नहीं, सबको ये बताना है 

पूरे विश्व ने हमें सोने की चिड़िया माना है 

लेकिन अब ये धन से नहीं मन से भी बताना है 


-अभिनव श्रीवास्तव 




Comments

  1. Very Well Written!! Keep it up Abhinav..👏

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  2. Soo well written.... U potrayed ur ideas soo clearly while also keeping in mind tha rhyming scheme....... Great work broo 👍

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  3. Well done bro your way of expressing thoughts is awesome

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  4. Wah abhinav babu wah! Bahut khub👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👌👌👌👌👌👌👌👌👍👍👍👍✊✊.....literally missing those when we all together suggeested and made these poems.......🙂🙂😊👌

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  5. So beautifully written, proud of you :)

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  6. Nice keep writing we love to read

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